۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
आयतुल्लाह ख़ामेनई

हौज़ा/इंक़ेलाब इस्लामी के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई से मुल्क के जीनियस और इल्मी लियाक़त रखने वाले सैकड़ों लोगों ने बुधवार को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मुलाक़ात की,

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,बुधवार को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हुयी इस मुलाक़ात में तक़रीर करते हुए इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इंक़ेलाब की कामयाबी से लेकर अब तक चले रहे इस प्रोपैगंडे का हवाला दिया कि इस्लामी जुम्हूरिया का ख़ात्मा बहुत क़रीब है। रहबरे इंक़ेलाब ने इस्लमी इंक़ेलाब के दुश्मनों के इस प्रोपैगंडे के बारे में कहाः ये लोग अपने इस दावे के लिए डेडलाइन भी तय कर देते थे और बार बार कहते थे कि एक महीने बाद, एक साल बाद या पाँच साल बाद, इस्लामी जुम्हूरिया का अंत हो जाएगा और मुल्क के भीतर भी कुछ लोग ग़फ़लत में या बुरी नियत के साथ इन दावों का प्रचार किया करते थे।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस बारे में इस्लामी जुम्हूरिया के ख़त्म हो जाने से मुताल्लिक़ कुछ बेबुनियाद समीक्षाओं की ओर इशारा करते हुए कहाः पिछले तैंतीस साल में इस्लामी जुम्हूरिया के बिखरने के बारे में बारंबार बात की गयी हैं लेकिन इंक़ेलाब की मज़बूती और इसकी लगातार कामयाबी से साफ़ हो गया कि ये समीक्षाएं ग़लत और हक़ीक़त से ख़ाली हैं।
उन्होंने इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की ज़िन्दगी में एक अख़बार की इस सुर्ख़ी की का हवाला दिया कि ʺइस्लामी सिस्टम बिखर रहा हैʺ  इसके बाद आपने इमाम ख़ुमैनी के इस मुंहतोड़ जवाब का ज़िक्र किया कि ʺतुम ख़ुद बिखर रहे हो जबकि इस्लामी सिस्टम पूरी ताक़त और मज़बूती से खड़ा हैʺ  आयतुल्लाह ख़ामेनेई का कहना था कि सन 1989 में इमाम ख़ुमैनी के इंतेक़ाल के बाद, कुछ लोगों ने, जिन में जाने माने तजुर्बाकार लोग भी थे, एक बयान में कहा थाः ʺइस्लामी सिस्टम खाई के मुहाने पर पहुंच गया हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने कहाः हम झुके नहीं, बल्कि डटे रहे और इंशाअल्लाह डटे रहेंगे।
उन्होंने दो नज़रियों की तरफ़ इशारा करते हुए कहाः एक नज़रिये का कहना था कि पूरी दुनिया में जारी व्यवस्था और उससे निकलने वाली ताक़तो जैसे अमरीका के ख़िलाफ़ काम करना और डट जाना फ़ुज़ूल और तबाही का सबब है। इस नज़रिये के मानने वाले फ़ैक्टस् और दुनिया के बारे में दूसरा नज़रिया रखने वालों को वहम में मुब्तला समझते हैं। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि दूसरे हक़ीक़त पसंदाना नज़रिये की बुनियाद यह है कि वह सभी फ़ैक्ट्स को और वह भी सिर्फ़ अच्छे फ़ैक्ट्स नहीं बल्कि बुरे फ़ैक्ट्स को भी एक साथ रख कर देखता है और उसकी बुनियाद पर आगे बढ़ता है।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने अपनी स्पीच के दूसरे हिस्से में मुल्क के जीनियस और ख़ास इल्मी लियाक़त रखने वाले लोगों को मुल्क की तरक़्क़ी का अहम स्तंभ क़रार देते हुए कहाः जवानों ख़ास तौर पर ग़ैर मामूली क़ाबिलियत वाले जवानों की मौज़ूदी हर जगह उम्मीद पैदा कर देती है।
उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी जितनी देर बंद रहेगी और साइंटिफ़िक सरगर्मियों को जितना नुक़सान पहुंचाया जाएगा, उतना ही दुश्मन को फ़ायदा होगा और इसी लिए उन्होंने सिर्फ़ आज कल नहीं बल्कि अलग अलग मौक़ों पर यूनिवर्सिटियों को बंद कराने की कोशिश की है।
इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर ने यूनिवर्सिटी को साम्राज्यवाद के क़ब्ज़े के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावटों में से एक बताया और कहाः दुनिया की मुंहज़ोर ताक़ते, दूसरों पर अपनी धौंस जमाने और क़ौमों को पीछे रखने के लिए हथियार, धोखा यहाँ तक कि इल्म व साइंस को इस्तेमाल करती हैं इसलिए वह यूनिवर्सिटी जो साइंस के स्टैंडर्ड को ऊपर ले जाती है, हक़ीक़त में दुश्मन के ग़लबे के रास्ते की रुकावट है।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस बात पर ताकीद की कि हमारी यूनिवर्सिटियों ने मुल्क को पश्चिम का मोहताज होने से बचाया। उन्होंने कहाः हमारी यूनिवर्सिटियों के जीनियस लोग, वाक़ई ईरान की इज़्ज़त व फ़ख़्र का सबब हैं और हमारे साइंसदान जिस मैदान में दाख़िल हुए, दुनिया के इल्मी व साइंटिफ़िक हल्क़े हैरत में पड़ गए और वे तारीफ़ करने पर मजबूर हुए।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने कहा कि वह ज़ेहीन इंसान जिन्होंने अपने इल्म और क़ाबिलियत को ऐटमी हथियार, केमिकल हथियार या जासूसी के औज़ार बनाने में इस्तेमाल किया, जीनियस नहीं हैं, बल्कि जीनियस वह क़ाबिल और मेहनती इंसान है जिसने अल्लाह की हिदायत से फ़ायदा उठाया।
उन्होंने मुल्क के जीनियस और ख़ास इल्मी लियाक़त से भरपूर लोगों के कुछ कारनामों का ज़िक्र किया। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने स्टेम सेल्ज़ और ज़िन्दा जानवर की क्लोनिंग जैसे मैदानों में रोयान इंस्टीट्यूट के कारनामों, बायोकेमिकल, स्पेस में सैटलाइट भेजने, ऐटमी इंडस्ट्री के अहम कारनामों, कोविड की वैक्सीन बनाने और मीज़ाइल व ड्रोन बनाने के मैदान में होने वाली ज़बरदस्त तरक़्क़ी का ज़िक्र किया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि कुछ साल पहले जब मिसाइल और ड्रोन की इंडस्ट्री में ईरान के सॉफ़िस्टीकेटेड औज़ारों की तस्वीरें छपीं तो वे (दुश्मन) कहते थे कि ये फ़ोटोशाप (का कमाल) है और अब वह कहते हैं कि ईरानी ड्रोन बहुत ख़तरनाक हैं, आप क्यों बेच रहे हैं, फ़लां को क्यों दे रहे हैं?
इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने इसी तरह कहाः कुछ लोग तो ईरान की अज़ीम सलाहियतों का ही इंकार कर देते हैं और ऐटमी इंडस्ट्री जैसे मैदानों को बंद करने की बात करते हैं और झूठ से काम लेते हुए कहते हैः ʺआज दुनिया ऐटमी ताक़त और ऐटमी इंडस्ट्री से मुंह मोड़ चुकी है।ʺ अगर हमने ऐटमी इंडस्ट्री को उस वक़्त शुरू नहीं किया होता, जब हमने शुरू किया था तो हम दस साल बाद इस मैदान में दाख़िल होते और तीस साल बाद नतीजा हासिल कर पाते।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने दुश्मन से ग़ाफ़िल रहने को जीनियस व ख़ास इल्मी क़ाबिलियत से भरपूर लोगों के लिए हमेशा मौजूद रहने वाले ख़तरों में से एक बताया। उन्होंने कहाः ठोस इन्फ़ॉर्मेशन की बुनियाद पर ख़ुफ़िया एजेंसियां, इन लोगों को धोखा देने, उन्हें अपने साथ मिलाने या उनका ज़ेहन ख़राब करने के लिए साइंटिफ़िक सेंटर की आड़ में दावत देती हैं और ख़ुद को बहुत अदब वाला और ज़ेहीन दिखाती हैं ताकि अपनी साज़िश को कामयाब कर सकें। 
इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में, मुल्क के सात जीनियस और ख़ास इल्मी क़ाबिलियत रखने वाले लोगों और इसी तरह साइंस व टेक्नॉलोजी के ऐक्टिंग वाइस प्रेज़ीडेन्ट डॉक्टर दहक़ानी फ़ीरोज़ाबादी ने अपने ख़यालात पेश किए।

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